Tuesday, January 29, 2019

टी-20 वर्ल्ड कप का शेड्यूल जारी

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने 2020 में होने वाले टी-20 वर्ल्ड कप का शेड्यूल जारी कर दिया है. पुरुष वर्ल्ड कप 18 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच ऑस्ट्रेलिया में खेला जाएगा. टीम इंडिया अपना पहला मुकाबला दक्षिण अफ्रीका से 21 अक्टूबर को खेलेगी. साथ ही 21 फरवरी से 8 मार्च तक महिला वर्ल्ड कप खेला जाएगा. महिला टी20 वर्ल्ड कप में ओपनिंग मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच ही है.

इस बार नहीं इंडिया VS पाकिस्तान

सभी आईसीसी इवेंट में हमेशा भारत और पाकिस्तान के मैचों को बढ़ा चढ़ा के पेश किया जाता है. आईसीसी टिकटों की बिक्री और ब्रॉडकास्ट बिजनेस को बढ़ाने के लिए हमेशा से वर्ल्ड कप में भारत-पाकिस्तान के मैचों को ग्रुप स्टेज पर ही कराने की कोशिश करता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. कम से कम नॉकआउट राउंड से पहले तो भारत पाकिस्तान टक्कर देखने को नहीं मिलेगी. इन दोनों टीमों को दो अलग-अलग ग्रुप में रखा गया है.

महिला वर्ल्ड कप के लिए भी आईसीसी ने यही रास्ता अपनाया है. भारतीय महिला टीम ग्रुप-ए में है तो वहीं पाकिस्तानी टीम ग्रुप-बी में है.

ये रहेगा फॉर्मेट

महिला

महिला वर्ल्ड कप का ये सातवां एडिशन 2018 वर्ल्ड टी20 के फॉर्मेट से ही खेला जाएगा. 10 टीमें भाग लेंगी और दो अलग-अलग ग्रुप में रहेंगी.

2018 के टी20 वर्ल्ड कप की टॉप-8 टीमें 2020 महिला वर्ल्ड कप के लिए ऑटोमेटिकली क्वालीफाई कर गई हैं. बाकी दो बचे स्थानों के लिए क्वालीफाइंग टूर्नामेंट खेला जाएगा.

इन दो ग्रुप में से दो टॉप टीमें सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करेंगी और यहां से टूर्नामेंट नॉकआउट बन जाएगा.

पुरुष

पुरुष टी20 वर्ल्ड कप में 12 टीमों को दो अलग-अलग ग्रुप में रखा जाएगा. टी20 रैंकिंग के आधार पर टॉप-8 टीमें ऑटोमेटिकली क्वालीफाई कर गई हैं लेकिन श्रीलंका और बांग्लादेश जो क्रमश: 9वें और 10वें नंबर पर हैं, उन्हें बाकी टीमों के साथ क्वालीफाइंग राउंड खेलना होगा.

श्रीलंका को ग्रुप-ए में और बांग्लादेश को ग्रुप-बी में रखा गया है, जहां इनके साथ तीन-तीन टीमें और हैं. इन दोनों ग्रुप से दो टॉप टीमें सुपर-12 के लिए क्वालीफाई करेंगी. सुपर-12 में हर एक टीम को अपने ग्रुप की पांच टीमों से मैच खेलने होंगे और फिर दोनों ग्रुप की दो-दो टॉप टीम सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करेंगी.

ICC पुरुष टी20 वर्ल्ड कप भारत का शेड्यूल

कुल 16 टीमें 18 अक्टूबर से 15 नवंबर 2020 तक 45 मैच खेलेंगी.

फर्स्ट राउंट क्वालीफायर्स

ग्रुप ए: श्रीलंका, QA2, QA3, QA4
ग्रुप बी: बांग्लादेश, QB2, QB3, QB4

सुपर-12 की टीमें

ग्रुप 1: पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज, A1, B2
ग्रुप 2: भारत, इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका, अफगानिस्तान, B1, A2

भारत के मैच:

24 अक्टूबर- भारत vs दक्षिण अफ्रीका, पर्थ, शाम 4:30 बजे29 अक्टूबर- भारत vs ग्रुप ए टीम-2, मेलबर्न, दोपहर 1:30 बजे1 नवंबर- भारत vs इंग्लैंड, मेलबर्न, दोपहर 1:30 बजे5 नवंबर- भारत vs ग्रुप बी टीम-1, एडिलेड, दोपहर 2:00 बजे8 नवंबर- भारत vs अफगानिस्तान, सिडनी, दोपहर 1:30 बजे

आईसीसी महिला टी20 वर्ल्ड कप- भारत के मैच

21 फरवरी- भारत vs ऑस्ट्रेलिया, सिडनी, दोपहर 1:30 बजे24 फरवरी- भारत vs क्वालिफायर-1, पर्थ, शाम 4:30 बजे27 फरवरी- भारत vs न्यूजीलैंड, मेलबर्न, सुबह 8:30 बजे 29 फरवरी- भारत vs श्रीलंका, मेलबर्न, सुबह 8:30 बजे।

Monday, January 28, 2019

ख़त्म हुआ यूनिवर्सिटी से SC-ST-OBC आरक्षण

13 प्वाइंट रोस्टर खत्म कर देगा यूनिवर्सिटी से SC-ST-OBC आरक्षण?


पिछले कुछ दिनों से आपको सोशल मीडिया और तमाम दूसरे प्लेटफॉर्म पर '13 प्वाइंट रोस्टर' शब्द सुनाई दे रहा होगा. जाहिर है कि साथ ही में SC-ST-OBC शिक्षकों के विरोध प्रदर्शन के बारे में भी आप सुन रहे होंगे या पढ़ रहे होंगे. ऐसे में आपके जेहन में कुछ ऐसे सवाल होंगे:


13 प्वाइंट रोस्टर है क्या? इस रोस्टर पर बवाल क्यों मच रहा है?सरकार की इस नए रोस्टर में क्या भूमिका है?यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में इस रोस्टर के लागू हो जाने से SC-ST-OBC आरक्षण पर क्या असर होगा?


दरअसल, 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम यूनिवर्सिटी में आरक्षण लागू करने का नया तरीका है. इस रोस्टर सिस्टम को एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण सिस्टम के साथ 'खिलवाड़' बताया जा रहा है. अभी बवाल इसलिए मचा हुआ है, क्योंकि 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम पर यूजीसी और मानव संसाधन मंत्रालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी, 2019 को खारिज कर दिया.


इसी के साथ ही ये तय हो गया कि यूनिवर्सिटी में खाली पदों को 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के जरिए ही भरा जाएगा.


इससे पहले साल 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यूनिवर्सिटी में टीचरों का रिक्रूटमेंट डिपार्टमेंट/सब्जेक्ट के हिसाब से होगा न कि यूनिवर्सिटी के हिसाब से।


बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के बीएचयू के प्रोफेसर एमपी अहिरवार इस पूरे मामले को समझाते हुए कहते हैं:


पहले वैकेंसी भरते वक्त यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना जाता था, उसके हिसाब से आरक्षण दिया जाता था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद वैकेंसी भरने के लिए डिपार्टमेंट/सब्जेक्ट को यूनिट माना जाने लगा. साथ ही 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम लागू हुआ. नियम ये है कि 14 से कम वेकेंसी पर 13 प्वाइंट रोस्टर लागू होगा और 14 से ज्यादा की वैकेंसी पर 200 प्वाइंट सिस्टम लागू होगा.


बीएचयू के प्रोफेसर अहिरवार सिस्टम को समझाते हैं कि अगर किसी यूनिवर्सिटी के किसी डिपार्टमेंट में वेकेंसी आती है, तो:


चौथा, आठवां और बारहवां कैंडिडेट OBC होगा, मतलब कि एक ओबीसी कैंडिडेट डिपार्टमेंट में आने के लिए कम से कम 4 वैकेंसी होनी चाहिए.7वां कैंडिडेट एससी कैटेगरी का होगा, मतलब कि एक एससी कैंडिडेट डिपार्टमेंट में आने के लिए कम से कम 7 वैकेंसी होनी ही चाहिए14वां कैंडिडेट ST होगा, मतलब कि एक एसटी कैंडिडेट को कम से कम 14 वेकेंसी इंतजार करना ही होगाबाकी 1,2,3,5,6,9,10,11,13 पोजिशन अनारक्षित पद होंगे.


साफ है कि यूनिवर्सिटी में आरक्षण की पूरी प्रणाली ही खत्म कर देने के लिए ये सिस्टम बनाया गया है. एक यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट को शुरू करने के लिए 2 असिस्टेंट प्रोफेसर, एक असोसिएट प्रोफेसर और एक प्रोफेसर होना चाहिए. मतलब कुल संख्या 4-5. SC-ST-OBC को आरक्षण देने के लिए इतनी वैकेंसी कहां से लाई जाएगी? देश में शायद ही कोई ऐसी यूनिवर्सिटी हो, जहां एक डिपार्टमेंट में एक साथ 14 या उससे ज्यादा वेकेंसी निकाली जाती हो. मतलब ओबीसी-एससी का हक मारा जा रहा है, एसटी समुदाय के रिजर्वेशन को तो बिलकुल खत्म कर देगी ये प्रक्रिया.


क्या सरकार ने ईमानदारी से कोशिश नहीं की?


दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल इस नए नियम को लागू करने में सरकार की भूमिका को संदिग्ध बताते हैं. उनका कहना है कि कोर्ट में सही तरीके से दलीलें नहीं रखी गईं, 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को समझाया नहीं गया कि किस तरह से संवैधानिक अधिकारों का हनन हो सकता है. वो इसे 'आरक्षण व्यवस्था की हत्या’ बताते हैं.


प्रोफेसर अहिरवार, प्रोफेसर रतन लाल की बात से इत्तेफाक रहते हैं. उनका कहना है कि साल 2017 में नए नियम के खिलाफ आवाज उठी, तो ये मुद्दा पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी और ओबीसी वेलफेयर कमेटी तक पहुंचा. संसद में भी सवाल उठे, ऐसे में सरकार ने देशभर से आंकड़े मंगा लिए.


इन आंकड़ों से ये साफ हो गया था कि विभागवार आरक्षण के माध्यम से एससी-एसटी-ओबीसी का प्रतिनिधत्व बिलकुल खत्म हो जाएगा. ये जानने के बाद भी सरकार ने सुनियोजित तरीके से सुप्रीम कोर्ट में आंकड़े नहीं रखे और ये आरक्षण को खत्म करने वाला फैसला आ गया.


आरोप ये भी लग रहे हैं कि इस फैसले लागू होने के बाद धड़ाधड़ यूनिवर्सिटी की पुरानी वेकेंसी को भरे जाने का सिलसिला शुरू हो गया है, जिसमें कई में तो एक भी पद एससी-एसटी-ओबीसी के लिए नहीं है. लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, उपेंद्र कुशवाहा समेत कई नेताओं ने भी इस नए नियम-कानून को गलत बताया है.


अब एक और आंकड़ा देखकर आपको हैरानी हो सकती है. यूं तो देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण लागू होता है. लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की इन यूनिवर्सिटी में 95.2% प्रोफेसर, 92.9% असोसिएट प्रोफेसर, 66.27% असिस्टेंट प्रोफेसर जनरल कैटेगरी से आते हैं. इनमें SC, ST और OBC के वो उम्मीदवार भी हैं, जिन्हें आरक्षण का फायदा नहीं मिला है.


साफ है कि यूनिवर्सिटी में अब तक भी आरक्षण को सही तरीके से लागू नहीं किया जा सका है. अब डर है कि SC, ST और OBC के आरक्षण के हक को नए नियम-कानून से और भी मारा जा सकता है.

13 प्वाइंट रोस्टर खत्म कर देगा यूनिवर्सिटी से SC-ST-OBC आरक्षण?


पिछले कुछ दिनों से आपको सोशल मीडिया और तमाम दूसरे प्लेटफॉर्म पर '13 प्वाइंट रोस्टर' शब्द सुनाई दे रहा होगा. जाहिर है कि साथ ही में SC-ST-OBC शिक्षकों के विरोध प्रदर्शन के बारे में भी आप सुन रहे होंगे या पढ़ रहे होंगे. ऐसे में आपके जेहन में कुछ ऐसे सवाल होंगे:


13 प्वाइंट रोस्टर है क्या? इस रोस्टर पर बवाल क्यों मच रहा है?सरकार की इस नए रोस्टर में क्या भूमिका है?यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में इस रोस्टर के लागू हो जाने से SC-ST-OBC आरक्षण पर क्या असर होगा?


दरअसल, 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम यूनिवर्सिटी में आरक्षण लागू करने का नया तरीका है. इस रोस्टर सिस्टम को एससी-एसटी-ओबीसी आरक्षण सिस्टम के साथ 'खिलवाड़' बताया जा रहा है. अभी बवाल इसलिए मचा हुआ है, क्योंकि 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम पर यूजीसी और मानव संसाधन मंत्रालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 22 जनवरी, 2019 को खारिज कर दिया.

इसी के साथ ही ये तय हो गया कि यूनिवर्सिटी में खाली पदों को 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम के जरिए ही भरा जाएगा.

इससे पहले साल 2017 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यूनिवर्सिटी में टीचरों का रिक्रूटमेंट डिपार्टमेंट/सब्जेक्ट के हिसाब से होगा न कि यूनिवर्सिटी के हिसाब से।

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के बीएचयू के प्रोफेसर एमपी अहिरवार इस पूरे मामले को समझाते हुए कहते हैं:

पहले वैकेंसी भरते वक्त यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना जाता था, उसके हिसाब से आरक्षण दिया जाता था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद वैकेंसी भरने के लिए डिपार्टमेंट/सब्जेक्ट को यूनिट माना जाने लगा. साथ ही 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम लागू हुआ. नियम ये है कि 14 से कम वेकेंसी पर 13 प्वाइंट रोस्टर लागू होगा और 14 से ज्यादा की वैकेंसी पर 200 प्वाइंट सिस्टम लागू होगा.

बीएचयू के प्रोफेसर अहिरवार सिस्टम को समझाते हैं कि अगर किसी यूनिवर्सिटी के किसी डिपार्टमेंट में वेकेंसी आती है, तो:

चौथा, आठवां और बारहवां कैंडिडेट OBC होगा, मतलब कि एक ओबीसी कैंडिडेट डिपार्टमेंट में आने के लिए कम से कम 4 वैकेंसी होनी चाहिए.7वां कैंडिडेट एससी कैटेगरी का होगा, मतलब कि एक एससी कैंडिडेट डिपार्टमेंट में आने के लिए कम से कम 7 वैकेंसी होनी ही चाहिए14वां कैंडिडेट ST होगा, मतलब कि एक एसटी कैंडिडेट को कम से कम 14 वेकेंसी इंतजार करना ही होगाबाकी 1,2,3,5,6,9,10,11,13 पोजिशन अनारक्षित पद होंगे.

साफ है कि यूनिवर्सिटी में आरक्षण की पूरी प्रणाली ही खत्म कर देने के लिए ये सिस्टम बनाया गया है. एक यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट को शुरू करने के लिए 2 असिस्टेंट प्रोफेसर, एक असोसिएट प्रोफेसर और एक प्रोफेसर होना चाहिए. मतलब कुल संख्या 4-5. SC-ST-OBC को आरक्षण देने के लिए इतनी वैकेंसी कहां से लाई जाएगी? देश में शायद ही कोई ऐसी यूनिवर्सिटी हो, जहां एक डिपार्टमेंट में एक साथ 14 या उससे ज्यादा वेकेंसी निकाली जाती हो. मतलब ओबीसी-एससी का हक मारा जा रहा है, एसटी समुदाय के रिजर्वेशन को तो बिलकुल खत्म कर देगी ये प्रक्रिया.

, तो ये मुद्दा पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी और ओबीसी वेलफेयर कमेटी तक पहुंचा. संसद में भी सवाल उठे, ऐसे में सरकार ने देशभर से आंकड़े मंगा लिए.

इन आंकड़ों से ये साफ हो गया था कि विभागवार आरक्षण के माध्यम से एससी-एसटी-ओबीसी का प्रतिनिधत्व बिलकुल खत्म हो जाएगा. ये जानने के बाद भी सरकार ने सुनियोजित तरीके से सुप्रीम कोर्ट में आंकड़े नहीं रखे और ये आरक्षण को खत्म करने वाला फैसला आ गया.

आरोप ये भी लग रहे हैं कि इस फैसले लागू होने के बाद धड़ाधड़ यूनिवर्सिटी की पुरानी वेकेंसी को भरे जाने का सिलसिला शुरू हो गया है, जिसमें कई में तो एक भी पद एससी-एसटी-ओबीसी के लिए नहीं है. लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, उपेंद्र कुशवाहा समेत कई नेताओं ने भी इस नए नियम-कानून को गलत बताया है.

अब एक और आंकड़ा देखकर आपको हैरानी हो सकती है. यूं तो देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षण लागू होता है. लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की इन यूनिवर्सिटी में 95.2% प्रोफेसर, 92.9% असोसिएट प्रोफेसर, 66.27% असिस्टेंट प्रोफेसर जनरल कैटेगरी से आते हैं. इनमें SC, ST और OBC के वो उम्मीदवार भी हैं, जिन्हें आरक्षण का फायदा नहीं मिला है.

साफ है कि यूनिवर्सिटी में अब तक भी आरक्षण को सही तरीके से लागू नहीं किया जा सका है. अब डर है कि SC, ST और OBC के आरक्षण के हक को नए नियम-कानून से और भी मारा जा सकता है.
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Wednesday, January 16, 2019

गुस्सा/एंगर को कैसे कण्ट्रोल करें

Image result for GUSSA WALI TASHVEERगुस्सा आजकल हर किसी के लिए एक बड़ी समस्या बन गया है। किसी को गुस्सा आने की प्रॉब्लम होती है , किसी को गुस्सा बर्दाश्त करने की प्रॉब्लम होती है। अगर आपको भी बात बात पर गुस्सा आ जाता है और आप इस आदत से बेहद तंग हो चुके हैं तो आज इस गुस्से को ही जड़ से मिटा देते हैं । जी,  हां !!
आज आपको गुस्से से निजात पाने के कुछ बेहद ही आसान से और बेहतरीन से टिप्स बताने जा रहा हूँ , अगर आप इनको फॉलो करेंगे तो बहुत हद तक आपका गुस्सा खत्म हो जाएगा तो फिर आइए जानते हैं यह टिप्स क्या क्या है●●●●


जीवन में किसी न किसी कारण से क्रोध हो जाता है। आपने कभी क्रोध के बारे में गंभीरता से सोचा है? क्रोध क्या है? क्रोध क्यों आता है और उसके परिणाम क्या हैं? आपसी संबंध में अक्सर एक-दूसरे पर क्रोध हो जाता है? क्रोध से कैसे छुटकारा पाएँ?

जो हमें सबसे ज़्यादा प्यार करते हैं, उन्हीं के साथ हम अपने संबंध बिगाड़ देते हैं। हम अपने बच्चों को सहारा, सहूलियत और सुरक्षित वातावरण देना चाहते हैं, लेकिन हमारा गुस्सा ही बच्चों को डरा देता है।

क्रोधी स्वभाववाले लोगों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? जब मशीन ज़्यादा गरम हो जाएँ, तब थोड़ी देर के लिए उसे बंद कर देना चाहिए। तब वह ठंडी  हो जाएगी। लेकिन आप उससे कुछ छेड़छाड़ करोगे तो जल जाओगे।

◆◆सहयोगात्मक टिप्स◆◆

गुस्से की एक अहम वजह होती है, तनाव/टेंशन। इसलिए गुस्से को शांत करने का सबसे आसान तरीका है कि आप तनाव को ही खत्म कर दें। ना रहेगा बांस ना बजेगी बांसुरी । कैसी भी कंडीशन हो , जैसा भी माहौल हो, खुद को रिलैक्स रखिए क्योंकि ठंडे दिमाग से आप चीजें ज्यादा अच्छी कर सकते हैं । तनाव लेकर होगा क्या ..??
बेवजह की टेंशन ...???
इसलिए टेंशन को दूर कीजिए। जब भी आपको तनाव की वजह से गुस्सा आने लगे तो गहरी सांसे ले और 2 मिनट के लिए बिल्कुल चुप हो जाए ।कुछ देर में आप पाएंगे कि आप शांत हो रहे हैं। अच्छी किताबें पढ़ना , जोक्स पढ़ना, गाना सुनना, व्यायाम करना आदि को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं ।
मेडिटेशन व सकारात्मक सोच भी आपकी गुस्से को कम करता है।

◆◆गुस्सा आता नही , हम करते है◆◆

गुस्सा आता नहीं हम गुस्सा करते हैं । जैसे हमें लैट्रिंग या सुसु आता नहीं हम करते हैं ।
उदाहरण के लिए आप किसी कंपनी में काम कर रहे हैं और आपका बॉस बिना किसी गलती के आप को डांटे - फटकारे तब भी आप बड़े आराम से माथा नीचे किए हुए चुपचाप उसकी बातों को सुन लेते हैं , क्योंकि वहां आपको अपनी नौकरी का डर होता है , लेकिन ठीक उसके विपरीत छोटे बच्चों की गलतियों पर आप बहुत गुस्सा हो जाते हैं, क्योंकि यहां आपको किसी चीज का खतरा महसूस नहीं होता। कहने का मतलब है कि जहां हमारा जोर चलता है, वही हम गुस्सा करते हैं जहां हमारा जोर नहीं चलता वहां हम भीगी बिल्ली बनकर खड़े रहते है।इस बात को जो समझ गया वो हमेशा के लिए अपने गुस्से से निजात पा लिया।

निष्कर्षतः गुस्सा को कंट्रोल करने के लिए खुद को कंट्रोल करना होगा। हमें जब भी गुस्सा आए खुद को कमजोर साबित करना होगा/दिखाना होगा/समझना होगा ।तब जाकर हम खुद की एंग्रीपन को जड़ से समाप्त कर सकते हैं ।

गुस्से से नुकसान खुद का होता है। किसी दूसरे के बहकावे में आकर कभी भी गुस्सा ना करें। क्योंकि यह आपकी लाइफ है, और कोई प्रॉब्लम होती है तो झेलना भी आपको ही पड़ेगा। गुस्सा रिलेशनशिप को बर्बाद कर देता है।
धन्यवाद🙏🙏Image result for GUSSA WALI TASHVEER